Short Stories On Hindi –आज की इस पोस्ट में हम कुछ न्यू और इंट्रेस्टिंग स्टोरी ले कर आये है जिनको पढने के बाद आपको मजा तो आएगा ही और साथ साथ आपको इन स्टोरी से आपको कुछ सीखने को भी मिलने वाला है, ये स्टोरी आप आपने बच्चो को भी सुना सकते है , जिनसे उन्हें कुछ अपने जीवन में कुछ सबक सीखने को मिलेगा है तो चलिए ज्यादा समय ना लेते हुए स्टार्ट करते है
1.चींटी और कबूतर की कहानी | short stories on hindi ?
एक समय की बात है पेड़ पर से एक चींटी तालाब में गिर गई एक कबूतर ने उसे अपना जीवन बचाने के लिए जी तोड़ कोशीश करते हुए देखा
कबूतर ने एक पत्ते को तोड़ा और चींटी के पास फेंक दिया चींटी झट से पत्ते पर चढ़ गई और बड़ी कृतज्ञता भरी नजरों से उसने कबूतर का धन्यवाद किया
कुछ सप्ताहों बाद की बात है एक बहेलिया जंगल में आया बहेलियों का तो काम ही होता है पक्षियों को पकड़ना
उसने कुछ दाने जमीन पर फेंके और उस पर अपना जाल बिछा दिया वह चुपचाप किसी पक्षी के जाल में फंसने का इंतजार कर रहा था वे चींटी जो वही कहीं से गुजर रही थी,
उसने जब वह सारी तैयारी देखी तो क्या देखती है की वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी? उड़कर उसी जाल में फंसने के लिए धीरे धीरे नीचे उतर रहा था चींटी ने एकदम
आगे बढ़ बहेलिया के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया कि पहेली के मुँह से चीख निकल गई और बहेलिया बोला तेरी एसी -की तेसी हाय परमात्मा
कबूतर ने एकदम देखा कि शोर किधर से आ रहा है और बहेलिया को देखते ही सब कुछ उसकी समझ में आ गया वह दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गए चींटी भी अपने काम पर चल दी
शिक्षा – तभी तो कहते है कर भला तो हो भला ?
2 चार दोस्त | short stories on hindi?
एक बार चार दोस्त थे चारों को पढ़ाई करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था चारों पूरी पूरी रात पार्टी करते रहते थे
एग्ज़ैम के पहले दिन भी वह पार्टी कर रहे थे और इसीलिए उन्होंने सोचा कि वो टीचर के पास जाकर उनसे झूट कहेंगे और एग्ज़ैम बाद में कभी दे देंगे
पार्टी करने बाद दूसरे ही दिन चारों टीचर के पास गए और टीचर से झूठ बोलने लगे कि कल रात हम एक शादी में गए थे और शादी से घर लौटते समय हमारी गाड़ी का टाइर पंक्चर हो गया गाड़ी में एक्स्ट्रा टाइर नहीं था,
इसीलिए हमें गाड़ी को धक्का मारते मारते घर तक लेके आना पड़ा हम कल रात इतना थक गए थे कि आज एग्ज़ैम देने की हालत में नहीं है तो क्या हम एग्ज़ैम बाद में दे सकते हैं?
टीचर ने उनकी बात सुनी और उनसे कहा की तुम एग्ज़ैम कल दे सकते हो चारों ये सुनकर बहुत ही खुश हो गए और घर जाकर पढ़ाई करने लगे दूसरे दिन चारो एग्जाम देने पहुंचे टीचर ने उन्हें अलग अलग क्लास रूम में बिठाया QUESTION पेपर में सिर्फ दो ही प्रश्न थे, पहला तुम्हारा नाम क्या है?
और दूसरा की गाड़ी का कौन सा टाइर पंक्चर हो गया था? चारो ने झूठ कहा था इसीलिए चारों के उत्तर अलग अलग थे इस प्रकार से टीचर में उनका झूठ पकड़ लिया
शिक्षा –इस कहानी से हमें ये सीख मीलती है कि झूठ बोलना बुरी बात है इसीलिए हमे झूट कभी नहीं बोलना चाहिए;
3 .लोमड़ी और कौआ |short stories on hindi?
बहुत पुरानी बात है एक कौआ भोजन की तलाश में इधर उधर भटक रहा था परंतु उसके हाथ कुछ ना लगा वह थक हार के एक पेड़ पर जा बैठा
उसे एक प्लेट में पनीर का एक टुकड़ा दिखाई दिया वो प्लेट के पास पहुंचा उसने अपनी चोच से उसे उठा लिया और उड़ने लगा
बहुत से कौवे उसके पीछे पीछे उड़ने लगे वो भी पनीर को उससे छीनना चाहते थे वो सब को चकमा देने में कामयाब हो गया और एक पेड़ की शाखा पर जाकर बैठ गया,
उधर ही कहीं एक लोमड़ी वहाँ से गुजर रही थी लोमड़ी ने कौए की चोंच में फंसा पनीर देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया उसने जल्द ही कौए से उसका पनीर अपने कब्जे में लेने की योजना बनाई और उसने कौए की ओर देखा और बोली
अरे, कौए भाई तुम कितने खूबसूरत हो मैं अपना परिचय तुम्हें दे दूँ, मैं एक भोली भाली लोमड़ी हूँ मेरी सहेलियों ने मुझे बताया है कि तुम्हारी आवाज़ में एक गजब की मिठास है क्या यह बात सही? है
कौआ यह सुनकर हैरान रह गया आज तक तो किसी ने उसकी आवाज की तारीफ नहीं की थी, परंतु वह चुप रहा लोमड़ी बोली कौए भाई अपनी मधुर आवाज में क्या तुम मेरे लिए एक गाना नहीं गा सकते? सुनाओ ना भैया?
परन्तु अभी भी वह मौन था लोमड़ी, फिर बोली
क्या तुम अपनी प्यारी बहन की इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते? तुम कितने सुंदर हो, तुम्हारे पंखों का तो कहना ही किया मेरे लिए एक गाना गाओ ना कौआ भैया
कौआ उसके झांसे में आ गया उसने अपनी चोंच खोली और लगा कांव कांव करने अरे ये क्या? पनीर उसकी चोच से निकला और जमीन पर आ गिरा लोमड़ी ने झट से उसे झपट लिया और खा गयी
लेकिन जब तक कौए को समझ में आता कि क्या हुआ लोमड़ी, से भाग गयी कौआ उदास हो गया अब पछताए क्या होता है जब चिड़िया चुग गई खेत,
शिक्षा-तभी तो कहते है चापलूसों से बच्चों, इनका विश्वास नहीं करना चाहिए
4 तेनालीराम रामा की कहानियां तेनालीराम | short stories on hindi
बहुत वर्ष हुए विजयनगर में एक राजा राज़ करता था उसका नाम था कृष्णदेव राय एक बार उसके राज्य में चूहों की भरमार हो गई जिधर देखो चूहे ही चूहे राजा ने हुक्म सुनाया हर घर में एक बिल्ली अनिवार्य रूप से पाली जाए, प्रत्येक घर में एक एक गाय प्रदान की जाए ताकि बिल्ली को दूध पर्याप्त मात्रा में मिल सके
तेनालीराम नाम का एक वजीर इस आज्ञा से नाखुश था उसके अनुसार यह सारा प्रयोजन ही मूर्खतापूर्ण
था उसने एक तरकीब सोंची पहले ही दिन उसने अपनी बिल्ली के आगे खौलते हुए दूध का एक कटोरा उसके पीने के लिए रख दिया बिल्ली ने जैसे ही उसमें मुँह डाला उसका मुँह जल गया उसकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी,
”’ वह झट से दौड़ गयी राजा को सभी और पूरी तरह बलिष्ठ बिल्लियाँ नजर आने लगी वह अपनी आज्ञा से बहुत प्रसन्न था
राजा घर घर जाकर खुद देखता था कि सब ठीक ठाक है या नहीं आखिर वे तेनालीराम के घर पहुंचा राजा को तेनालीराम के यहाँ बिल्कुल कमजोर हड्डियों का ढांचा बनी बिल्ली देखकर गहरा झटका लगा राजा ने पूछा
क्या सारा दूध तुम खुद ही पिये जा रहे हो? तेनालीराम ने कहा महाराज अगर आप जान बख्श है तो सब कुछ सच सच आपसे कह दूँ राजा ने कहा हाँ
हाँ, तुम निर्भय होकर सब विस्तार से बताओ महाराज, पता नहीं क्या हुआ? मेरी बिल्ली तो दूध ही नहीं पी रही है, यह कैसे हो सकता है? अब आप स्वम ही देख लें महाराज तेनालीराम ने दूध का कटोरा रखा और जैसे ही उस बेचारी बिल्ली ने दूध का कटोरा देखा, वह डरकर भाग गई अब तो राजा को सारा मामला समझने में देर न लगी की तेनाली ने क्या किया था राजा ने हुक्म सुनाया
तेनालीराम को बंदी बना लिया जाए और उसकी पीठ पर सौ कोड़े लगाए जाएं तेनालीराम ने नजरें उठाए बिना कहा ठीक है महाराज,
मुझे सख्त से सख्त सजा दे, परंतु ज़रा सोचिए कि हम देशवासियों के पीने के लिए भी जब दूध पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है, तो क्या ये मूर्खता नहीं है की हम सारा दूध बिल्लियों को पिलादे? राजा को बात समझ में आ गई उसने तेनालीराम को माफ़ कर दिया और अपने देशवासियों को वह गाये, उनके परिवार को दूध पीने के लिए ही रखने के लिए कह दिया बिल्लियाँ तो चूहे खाकर भी अपना पेट भर सकती थी
शिक्षा -मानव की सेवा सर्वोत्तम है
5 टोपीवाला और बंदर और टोपियों का व्यापारी? | short stories on hindi
एक बार एक टोपियों का व्यापारी अपनी टोपियां बेचने के लिए दूर किसी शहर की ओर जा रहा था चलते चलते दोपहर हो गई वह थक गया था एक बड़े पेड़ के नीचे उसने अपनी टोपियों की टोकरी अपने कंधे से उतारी, अपने खाने का डिब्बा खोला और भोजन करने लगा जल्दी तो कोई थी नहीं, उसने सोचा क्यों ना कुछ देर आराम कर लिया जाए मैं वही लेट गया और जल्दी ही गहरी नींद ने उसे घेर लिया
उसे क्या पता था कि वह एक ऐसे पेड़ के नीचे सोया हुआ है जिसमें ढेरों बंदरों ने अपना ठिकाना बनाया हुआ था बंदरों ने जब टोकरी में पड़ी हुई है रंग बिरंगी टोपियां देखी तो उन्होंने टोपियों
से खेलने का मन बना लिया वे एक एक कर सभी नीचे आ गए और सभी ने एक एक टोपी उठा ली और जल्दी ही सभी पेड़ पर चढ़ गए टोपीवाले की आंख खुली जैसे ही उसकी नजर खाली टोकरी
पर पड़ी, उसके पैरों तले से जमीन निकल गई वह परेशान हो उठा की उसकी सारी टोपियाँ कोई चोरी करके ले गया था वह चिल्ला आरे , मैं तो लूट गया, बर्बाद हो गया, कौन ले गया मेरी टोपियों को अब मेरा क्या होगा?
परन्तु जैसे ही उसकी नजर ज़रा ऊपर पेड़ की ओर उठी तो हैरान रह गया उसकी सारी टोपियाँ तो बंदरों ने पहन रखी
थी उसने गुस्से से हाथों को ऊपर किया ताकि डरकर बंदर उसकी टोपियाँ नीचे फेंक परंतु ऐसा कुछ ना हुआ अपितु
बंदर भी उसकी नकल कर उसे चिढ़ा रहे थे इससे उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी पहले उसने अपने हाथों को हिलाया,
उसी तरह बंदर भी अपने हाथ हिलाने लगी फिर वो ऊपर नीचे कूदने लगा बंदर तो नकलची होता ही है बंदर भी ऊपर
नीचे कूदने लगे फिर उसने अपनी टोपी अपने सिर से उतारी और ज़ोर से उसे जमीन पर फेंक दिया फिर क्या था सभी
बंदरों ने उस की नकल की और अपनी अपनी टोपी को उन्होंने भी जमीन पर पटक दिया टोपीवाले ने अपनी सारी टोपियाँ इकट्ठी करी और वापिस अपनी टोकरी में डाल ली और फिर अपने रास्ते हो लिया,
शिक्षा क्या समझे? संकट आने पर ठंडे दिमाग से सोचो और समस्या को
6 अहंकार | Story In Hindi With Moral
हुत समय पहले की बात है एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था वो ऐसी मूर्तियां बनाता था, जिन्हें देखकर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था आसपास के सभी गांव में उसकी प्रसिद्धि थी लोग
अब उसकी मूर्ति कला के कायल थे, इसलिए उस मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा घमंड था जीवन के सफर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उसे लगने लगा कि अब उसकी मृत्यु होने वाली है वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पायेगा उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है खुद परेशानी में पड़ गया यमदूत को भ्रमित करने के लिए उसने योजना
बनाई उसने हुबहू अपने जैसी दस मूर्तियां बनाई और खुद इन मूर्तियों के बीच जाकर बैठ गया जब उसे यमराज लेने आये तो एक जैसे ग्यारह आकृतियों को देखकर दंग रह गए वह पहचान नहीं पा रहे थे की मूर्तियों में से असली मनुष्य हैं कौन? मैं सोचने लगे अब क्या किया जाए? अगर मूर्तिकार के प्राण नहीं ले सके तो सृष्टि
का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया तो कला का अपमान हो जाएगा अचानक एक यमदूत को मानव स्वभाव के सबसे बड़े दुर्गुण का अहंकार को परखने का विचार आया उसने मूर्तियों को देखते हुए कहा कितनी सुंदर मूर्तियां बनी हैं ना, लेकिन मूर्तियों में एक गलती है काश मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता तो मैं उसे बताता
मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है? ये सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा उसने सोचा मैंने अपना पूरा जीवन मूर्ति बनाने में समर्पित कर दिया अरे मेरी मूर्तियों में गल ी कैसे हो सकती है?
तभी मैं बोल उठा कैसे गलती? झट से यमदूत ने उसे पकड़ लिया और कहा बस यही गलती कर गए तुम अपने अहंकार में की बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती
शिक्षा -दोस्तों इस कहानी सामने ये सीखा कि इतिहास गवाह है अहंकार ने हमेशा इंसान को परेशानी और दुख के सिवा कुछ नहीं दिया
7 हाथी की मित्रता ? | Story In Hindi With Moral
एक हाथी किसी मित्रता की तलाश में जंगल में इधर उधर घूम रहा था उसे पेड़ पर एक बंदर दिखाई दिया हाथी बोला, बन्दरभाई क्या तुम मेरे मित्र बनोगे, बन्दर बोला? आप तो बहुत बड़े हैं आप मेरी तरह एक पेड़ पर झूल भी नहीं सकते तो फिर आपकी मेरी दोस्ती कैसी?
अगले दिन उसकी मुलाकात एक खरगोश से हुई क्यों? खरगोश क्या तुम मेरे दोस्त बनोंगे ? आप तो मेरे से बहुत बड़े हैं, औए आप मेरे घर में भी घुस नहीं सकोंगे , मेरी आपकी दोस्ती नहीं हो सकती
हाथी अब मेढक के पास पहुंचा, मेरा कोई मित्र नहीं है मेढक मित्र तुम अगर मुझे अपना दोस्त बना लो तो तुम्हारी
बड़ी कृपा? होगी मेढक बोला अरे वाह मान ना मान मैं तेरा मेहमान तुम इतने बड़े और मैं इतना छोटा कुछ तो सोचो ? ये बेमेल की दोस्ती नहीं हो सकती फिर तुम मेरी तरह कूद भी तो नहीं सकते जाओ भाई कहीं और अपनी दाल खिलाओ
अचानक जंगल में हाथी को एक लोमड़ी दिखाई दिया उसने लोमड़ी को रोका और पूछा, लोमड़ी, लोमड़ी सुनो क्या तुम मुझे अपना दोस्त बनाओ गी पसंद करोगी? देखो ना मना मत कहना मैं बड़ी उम्मीद से तुम्हारे पास आया हूँ बोलो, बनोगी ना तुम मेरी मित्र? लोमड़ी बोली ना ना अपना साइज तो देखो गलती से मैं तुम्हारे पांव के नीचे आ गयी तो मेरी तो चटनी बन जाएगी ना बाबा ना कोई और घर देखो
हाथी बोला कमाल है, कोई मुझे अपना मित्र नहीं बनाना चाहता अगले दिन हाथी ने देखा कि जंगल के सभी जानवर बहुत तेजी से भाग रहे थे उसने लोमड़ी से पूछा क्या हुआ? क्यों ऐसे भाग रहे? हो?
लोमड़ी बोली हाथी दादा पीछे शेर है और वे हम सबको मार कर खा जाना चाहता है तभी सभी जानवर अपनी अपनी जान बचाकर कहीं छुप जाना चाहते हैं शेर तों जानवरों के पीछे हाथ धोकर पड़ा था हाथी ने शेर से कहा श्रीमान क्यों व्यर्थ में इन सबकी जान के पीछे पड़े हो? सारे जानवरों को क्या एक ही दिन में मार दोगे क्या
शेर बोला चाचा? अपना रास्ता देख तुझे क्या? जो? मेरा दिल करेगा? करूँगा हाथी को समझ आ गया की लातों के भूत बातों से नहीं मानते उसने शेर को ज़ोर से एक लात मारी और शेर के होश ठिकाने
आ गए और वह डरकर भाग गया हाथी ने सबको जब यह खुशखबरी सुनाई तो सबकी खुशी का ठिकाना न रहा सभी ने हाथी को धन्यवाद दिया और कहा हमारे मित्र बनने के लिए सचमुच तुम्हारा साइज़ बिल्कुल ठीक है,
शिक्षा -मित्र हों जो मुसीबत में काम आये
8 बिल्ली के गले में घंटी ? | short stories on hindi
एक बहुत बड़े मकान में सैकड़ों चूहे रहते थे उन सबकी जिंदगी हस्ते खेलते, फुदकते, बड़े आनंद से गुजर रही थी परन्तु एक दिन अचानक घर का मालिक एक बिल्ली उठा लाया बिल्ली के आने से चूहों की तो जैसे शामत आ गई हो बिल्ली बहुत डरावनी थी उसे ढेर सारा दूध पीने को मिलता था
परन्तु फिर भी उसकी संतुष्टि नहीं हो रही थी वह घंटों लेटी रहती, तीन चार चूहे तो हो गए, रोज़ पकड़कर खा जाती समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही थी थकहार कर चूहों ने सभा बुलाई,
जिसमें हर छोटा बड़ा चूहा शामिल हुआ एक बोला, हमें इस मुसीबत से छुटकारा पाना ही होगा भाइयो, अपने अपने सुझाव दो की बिल्ली को कैसे मारा जाये या कैसे उससे पीछा छुड़ाया जाये?
बहुत समय तक खुसुरपुसुर होती रही काफी देर बाद एक नन्हा चूहा आगे बढ़ा और बोला क्यों ना बिल्ली के गले में घंटी बांध दें जहाँ कहीं भी जाएगी? घंटी की आवाज आ जाएगी और हम अपने अपने बिल में छुप जाएंगे तो बिल्ली हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी चारों और तालियां बजने लगीं वाह वाह, यह तो सचमुच बड़ा अद्भुत उपाय था अरे इस नन्हें का विचार तो सचमुच कमाल का है,
लगता है अब हमारे फिर सुहावने दिन लौटने वाले हैं अब हमें किसी तरह का भय खाने की जरूरत नहीं आराम से चैन की बांसुरी बजाएंगे सदा के लिए मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा अरे इस नन्हे ने तो हमारी चिंता का सदा के लिए अंत कर दिया इसे सम्मान मिलना चाहिए
एक बूढ़ा चूहा जो चुपचाप एक कोने में बैठा हुआ था बोल उठा सुनो ज़रा मेरी भी सुनो तुम सब एक बात भूल रहे हो छोटा चूहा बोला क्या? बूढ़ा चूहा बोला एक बात तो बताओ बिल्ली के गले में घंटी बांधेगा कौन सबके होश उड़ गए कौन मौत के मुँह में जाए?
किसी में इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाने की हिम्मत नहीं थी ऐसा खतरनाक काम कौन पसंद करता? सभी एक दूसरे का मुँह ताकते रह गए अचानक बिल्ली की आवाज़ आयी सभी अपनी अपनी जान बचाने के लिए अपने अपने बिलों में घुस गए
शिक्षा –सुझाव देना आसान है परंतु अमल करना मुश्किल
9 समझदार भेड़िया ? | short stories on hindi

समझदार भेड़िया एक भेड़िया बहुत समझदार और होशियार था एक बार की बात है, जब वह जंगल में से गुजर रहा था तो अचानक उसे एक मरा हुआ हाथी दिखाई दिया भेड़िये ने अपने पंजे से उसकी चमड़ी उधेड़ने की कोशीश करि परन्तु क्योंकि चमड़ी बहुत सख्त थी इसे काटना या उधेड़ना उसकी शक्ति से बाहर की बात थी
अचानक एक बब्बर शेर वहाँ आया का भेड़िया बोला महाराज मेरे मालिक मैं तो बस आपके लिए ही इसकी रखवाली कर रहा था की कब आप यहाँ आये और मैं आपको ये भेज दे सकूँ कृप्या आप इसे मेरी तरफ से स्वीकार करें
बब्बर शेर बोला तुम्हारा धन्यवाद परन्तु तुम तो मेरा स्वभाव जानता ही हो कि मैं किसी दूसरे के द्वारा किए गए शिकार को स्वीकार नहीं करता मैं अपनी खुशी से तुम्हारी ये भेंट? तुम्हे सोपता हु और बब्बर शेर अपने रास्ते हो लिया परन्तु मुसीबत अभी खत्म कहाँ हुई थी? अब एक साधारण शेर वहाँ आ पहुंचा, वह झट से बोला चाचा जी चाचा जी आप यहाँ मौत के मुँह में कहा घूम रहे हैं साधारण शेर बोला क्या मतलब?
भेड़िया बोला चाचा जी इस हाथी को बब्बर शेर ने मारा है और मुझे इसकी रखवाली के लिए रख छोड़ा है जाते जाते राजा जी मुझे ये हिदायत दे गए थे अगर कोई शेर इधर उधर से गुजरे तो मुझे सूचित कर देना अब मैं इस जंगल के सारे शेरों का खात्मा कर दूंगा इतना सुनते ही शहर की हवा सरक गई उसने कहा,
मेरे प्यारे भतीजे अब तो तुम ही मुझे बचा सकते हो अगर मेरे बारे में तुम राजाजी को सूचित नहीं करोगे? तो मैं बच जाऊंगा अच्छा तो मैं जाता हूँ, ये कहते हुए शेर रफूचक्कर हो गया
उसके जाने भर की देर थी कि एक चीता वहाँ आया भेड़िये ने मन ही मन सोचा की इसके दांत बड़े नुकीले है क्यों ना हाथी की चमड़ी इसी से कटवा लूँ? बस फिर क्या था भेड़िया झट से बोला क्यों भांजे कहा रहे इतने दिन बड़े समय से नजर नहीं आए और क्या बात बड़े कमजोर और भूखे लग रहे हो?
देखो यह जो हाथी है इसे बब्बर शेर ने मारा है मुझे इसका ध्यान रखने के लिए कहा गया है, परंतु यदि तुम इस हाथी का स्वादिष्ट मांस खाना चाहते हो तो जल्दी से इसमें से चीरकर खा जाओ परतु जल्दी करना कहीं राजाजी ना आजाये चीता बोला नहीं, मामा जी मुझे लगता है ये मेरी सेहत के लिए ठीक नहीं है
परंतु भेड़िये ने फिर एक चाल चली सुनो भांजे हौसला रखो और खाना शुरू करो जैसे ही बब्बर शेर मुझे दूर से दिखाई देगा, मैं तुम्हें उसके आने की खबर दे दूंगा, बस झट से भाग जाना तो बस फिर क्या था,
चीता भेडिये के झांसे में आ गया और हाथी के पास पहुंचा उसने जैसे ही हाथी की चमड़ी को उधेड़ा भेड़िया चिल्लाने लगा भांजे फुट लो शेर आ रहा है झट से चीता नौ दो ग्यारह हो गया इस तरह भेड़िये ने लंबे समय के लिए अपने भोजन का प्रबंध कर लिया
शिक्षा –अक्लमंदी से मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान किया जा सकता
10 नक़ल करने का अंजाम| सिख देने वाली कहानी | short stories on hindi
एक बार की बात है किसी गांव में बहुत ही गरीब किसान रहता था वह किसान एक समय अमीर व्यक्ति भी रह चुका थ वह जब अमीर था तब भी और आज गरीब होने के बाद भी वह दूसरों की मदद किया करता था वह जितना हो सकता था वह दूसरों की मदद करता था
वह किसान जब भी मंदिर जाया करता था तो ईश्वर से धन मांगता ताकि वह दूसरों की मदद कर सके ऐसी ही कुछ समय बीत एक दिन किसान ने एक सपना देखा कि अगले दिन तुम्हारे घर पर एक साधु आयेंगे जब वह तुम्हारे घर आए तो उनके घर के अंदर आते ही उनके सिर के पीछे डंडे से स्पर्श करना डंडे से ही वो पूरी तरह से सोने के बन जाएंगे
इस तरह तुम फिर से एक अमीर आदमी बनकर दूसरों की मदद कर सकते हो अगले दिन ऐसा ही हुआ उस किसान के घर पर एक साधु ने दस्तक दिया यह किसान पहले से ही डंडा लेकर तैयार था जैसे ही वह साधु घर के अंदर आया, किसान डंडे से उसके सिर के पीछे स्पर्श किया और वह पूरी तरह सोने के बन गया
अब यह सब कुछ एक नाई ने देख लिया यह नाई किसान के घर किसान का बाल काटने आया था उस नाई ने सोचा, अगर किसी साधु को डंडा से मारने पर सोने का बदलता है तो मैं इस तरीके से बहुत ही अमीर बन सकता हूँ
मुझे भी साधुओं के डंडे से मारकर अमीर बनना चाहिए उस किसान ने तो बस एक ही साधु को डंडा से मारा मैं एक से ज्यादा साधु को डंडे से मारकर उससे भी ज्यादा पैसे वाला बन जाऊंगा यह सोचकर नाई ने कुछ साधु को अपने घर भोजन और दान देने के लिए बुलाया?
साधु भी परेशान थे की जो नाई हमें कभी कुछ भी दान नहीं दिया, आज वह भोजन भी खिलायेगा और दान भी देगा वैसे भी वह सभी साधु नाई के बताए समय पर नाई के घर पहुँच गए नाई ही अपनी सारी तैयारी कर लिया था जैसी ही साधु नाई के घर के अंदर गए नाई ने अपने घर का दरवाजा बंद कर दिया
उसके बाद नाई साधुओं को डंडे से मारने लगा, लेकिन कोई भी साधु सोने का न बना साधु नाइक को इस तरह से मारने का कारण समझ नहीं पा रहे थे कुछ समय मार खाने के बाद सभी साधुओं को गुस्सा आ गया साधु मिलकर नाई को खूब मारा नाइ को मारने के बाद वह नाई के घर से बाहर आ गए
इस कहानी से हमें यह सीख मीलती है कि हमें कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति की नकल नहीं करनी चाहिए तो दोस्तों आशा करता हूँ, यह कहानी आपको अच्छी लगी हो
11 टीचर और स्टूडेंट की एक प्रेरणादायक कहानी | short stories on hindi
आज मैं आपका जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ उसका नाम है टीचर और स्टूडेंट यह कहानी शुरू होती है एक स्कूल से बाहर बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी तभी टीचर ने क्लास के सभी बच्चों से एक सवाल पूछा अगर तुम सब को सौ सौ रुपए का नोट दिया जाये, तो तुम सब क्या खरीदोगे?
किसी ने कहा मैं गेम खरीदूंगा, किसी ने कहा मैं बैट खरीदूंगा किसी ने कहा मैं अपने लिए प्यारी सी डॉल खरीदूंगी तो किसी ने कहा मैं बहुत से टॉफी खरीदूंगा एक बच्चा कुछ सोचने में डूबा हुआ था, तभी टीचर ने उस बच्चे से पूछा तुम क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे?
बच्चा बोला टीचर जी, मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा टीचर ने कहा, तुम्हारे माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते हैं तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी आखें भर आयी
बच्चे ने कहा सर मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है और उन्हें कम दिखाई देने की वजह से वो कपड़े सिल नहीं पाती इसलिए सर मैं मेरी माँ को एक चश्मा खरीद कर देना
चाहता हूँ ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ और माँ को सारी सुख सुविधा दे सकूँ बच्चे की बात सुनकर टीचर बोला, बेटा तेरी सोच तेरी कमाई है, ये सौ रुपए रखो और तुम्हारी माँ के लिए एक चश्मा खरीदो और यह सौ रुपए और उधार दे रहा हूँ
जब कभी कमाओ तो मुझे लौटा देना और मेरी इच्छा है कि तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सिर पर हाथ रखते वक्त मैं धन्य हो जाऊं बीस वर्ष के बाद उसी स्कूल के बाहर बहुत तेजी से बारिश हो रही थी और स्कूल में क्लास चल रही थी अचानक स्कूल के बाहर जिला कलेक्टर की गाड़ी आकर रुकती है स्कूल स्टाफ चौकन्ना सा रह जाता है
स्कूल में सन्नाटा सा छा जाता है कुछ समय बाद वह जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर पड़ते है और कहता है सर मैं उधार के , सौ रुपये लौटाने आया हूँ पूरा स्कूल स्टाफ दंग रह जाता है फिर विद्ध टीचर झुके हुए नौजवान जिला कलेक्टर को उठाकर गले मिलते हैं और रो पड़ते हैं
12 भेड़िया और चालाक बकरी | short stories on hindi
बहुत दिन पहले की बात है, एक गांव में एक सुंदर बकरा रहता था बकरा सुंदर होने के साथ साथ शरारती और चालाक भी था वो दिन भर गांव के इधर उधर घूमके खेलता था ऐसे ही एक दिन खेलते खेलते बकरा गांव के पास एक जंगल में चला गया
उस जंगल में एक भेड़िया रहता था, जो उस दिन खाना ढूंढता हुआ गांव की तरफ ही आ रहा था भेड़िया बकरा को जंगल में देखकर बहुत खुश हो गया
और भेड़िया बोला अरे आज का दिन तो बहुत ही अच्छा है खाना तो सामने ही है बकरा भेड़िया को सामने देखकर डर गया पर वह खुद को संभाल लिया और भेड़िया के हाथ से बचने के लिए मन ही मन उपाय
सोचने लगा बाप रे, ये भेड़िया तो मेरी तरफ इ आ रहा है आज तो ये मुझे पक्का खा जायेगा मुझे डरना नहीं है क्यों ना मैं कोई उपाय सोचूं? भेड़िया से बचने के लिए कुछ ही समय में भेरिया बकरा के पास आ गए था भेड़िया बकरा को बोला
क्या बात है मुझे सामने आते देख के भी तू ने ही भागा, मुझे देखके तो सब डर जाते हैं तुझे डर नहीं लगा? अरे भाग क्या फायदा तुम तुम मुझे पकड़ ही लेते है उससे अच्छा तुम मुझे खा लो ताकि मुझे थोड़ा पुन्य मिलेंगे और मरने के बाद स्वर्ग जा के सब को बता सकूँ कि मेरे मौत एक बहादुर भेड़िये के हाथों हुआ था
वाह, वाह तेरा ये बात मुझे बहुत अच्छा लगा वैसे तो मैं शिकार देखते ही उसे मार डालता हूँ, बोलने का मौका ही नहीं देता हूँ पर तू अलग है बोल मरने से पहले तेरा अंतिम इच्छा क्या है?
आपका मन दया से भरपूर है, एक काम करते हैं, आप मेरा ये बंसी लीजिए और थोड़ा बजाइए, मैं गाना गाता हूँ ये बोल के बकरा ने अपना बन से बेरियाँ को दिया और भेड़िया भी वंचित बजाने लगा बकरा ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा बकरा के आवाज़ गांव के लोगों तक पहुंचा और गांव के लोग लाठी लेके जंगल में बकरा को बचाने के लिए पहुँच गया गांव के लोगों को लाठी लेके आते देखकर भेड़िया बंसी छोड़कर वहाँ से भाग गया और ऐसे बकरा बच गया
शिक्षा- जब आप परेशानी में हो तो बुधि से काम लेना चाहिए
13 समय ही धन है | short stories on hindi
दो समय ही धन है अजय पाठशाला से घर लौटा है, माँ ने कहा अजय बेटा क्या बात है? परीक्षा में प्रश्नपत्र ठीक नहीं था क्या? अजय ने कहा माँ मैं स्कूल देर से पहुँचा ,
मेरी बस छूट गई थी, पिताजी ने कहा बे बेटा समय की परवाह करनी चाहिए, समय का बड़ा महत्व है अजय ने कहा पिताजी समय न रहते मैं पूरा प्रश्न पत्र हल न कर पाया आखरी प्रश्न रह गया,
पिताजी ने कहा तुम्हें मालूम है? की वक्त पर स्टेशन न पहुंचे तो गाड़ी छूट जाती है माँ ने कहा अजय ये सच है कि समय के अभाव में अच्छे अच्छे मौके अपने हाथ से निकल जाते हैं पिताजी ने कहा इसीलिए बड़े बूढ़े कहते है की समय ही धन है,
वह अनमोल है अजय ने कहा माँ अब मैं वादा करता हूँ की अपना हर काम ठीक समय पर ही करूँगा बेटा सभी महापुरुष समय के पाबंद थे जैसे महात्मा गाँधी, लाल बहादुर शास्त्री, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद आदि नेता समय की बड़े पाबंद थे
वे अपना अपना काम ठीक समय पर किया करते थे उनके जीवन में आलस्य का कोई स्थान नहीं था इसीलिए उन्हें जीवन में सफलता मिली थी पिताजी ने कहा ठीक है, जो हुआ सो हुआ अजय तुम जाओ, हाथ मुँह धोकर नाश्ता कर लो
14 एक गाय और बाघ के बीच की एक सुन्दर कहानी | short stories on hindi
एक बार की बात है एक गाय घास चरने के लिए जंगल में कई शाम ढलने ही वाली थी कि उसने देखा
एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव आ रहा था वह डर के म रे इधर उधर भागने लगीं वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा दौड़ते हुए गायकों सामने एक तालाब दिखाई दिया घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई
वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था उन दोनों के बीच दूरी काफी कम हो गई,
लेकिन अब वह दोनों कुछ भी नहीं कर पा रहे थे वह गाय उस कीचड़ के अंदर धीरे धीरे धंसने लगी वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं पा रहा था वह भी धीरे धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा दो नो ही करीब करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फंस गए दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे गाय के करीब होने के बावजूद भी वह बाघ उसे नहीं पकड़ पा रहा था
थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा क्या तुम्हारा कोई गुरु या कोई मालिक है? बाघ ने गुर्राते हुए कहा मैं तो जंगल का राजा हूँ, मेरा कोई मालिक नहीं, मैं खुद ही जंगल का मालिक हूँ गाय ने कहा लेकिन तम्हारी उस शक्ति का यहाँ पर क्या उपयोग है?
उस बाघ ने कहा तुम भी तो फंस गयी हो और मरने के करीब हो तुम्हारी भी तो हालत मेरे ही जैसी है गाय ने मुस्कुराते हुए कहा, बिल्कुल नहीं, मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहाँ नहीं पायेगा तो वह ढूंढ़ते हुए यहाँ जरूर आयेगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा,
लेकिन तुम्हे कौन ले जाएगा? थोड़ी ही देर में सच ही में एक आदमी वहाँ पर आया और गाय को कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले गया जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञतापर्वक देख रहे थे वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे
क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा था दोस्तों किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है, लेकिन मैं ही सब हूँ मुझे किसी के सहयोग की कोई आवश्यकता नहीं है यही अहंकार है और यहीं से विनाश का बीजारोपण हो जाता है
ईश्वर से बड़ा इस दुनिया में सच्चा हितैषी कोई नहीं होता, क्योंकि वही अनेक रूपों में हमारी रक्षा करता है
दोस्तों, हमारी इस कहानी में गाय समर्पित हृदय का प्रतीक है बाघ अहंकारी मन का प्रतीक है और मालिक ईश्वर का प्रतीक है कीचड़ यह संसार है और यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है तो दो
15 माँ की प्यारी सीख | short stories on hindi
राहुल अपनी माँ के साथ एक बहुत अच्छे घर में रहता था बह बहुत अच्छा लड़का था और सदा अपनी माँ का कहना मानता था राहुल की माँ बहुत अच्छे पकवान बनाती थी राहुल को पकवान खाना बहुत पसंद था
एक दिन राहुल की माँ ने बहुत बढ़िया कुकीज़ बनाकर एक बड़े जार में रख दी और फिर बाजार चली गई बाजार जाने से पहले राहुल की माँ उसको कह गयी थी की अपना गृह कार्य समाप्त करने की बात वह कुकीज़ खा सकता है
राहुल बहुत खुश हुआ उसने जल्दी से अपना गृहकार्य समाप्त करके अपनी माँ के लौटने से पहले ही कुकीज़ खानी चाहिए
इसीलिए वह एक स्टूल पर चढ़ गया फिर उसने चार के अंदर हाथ डालकर ढेर सारी कुकीज़ निकालने की कोशीश की पर जार का मुँह छोटा होने के कारण वह अपना हाथ बाहर नहीं निकल सका उसी समय उसकी माँ बाजार से लौट आई
जब उसने राहुल को देखा तो वह हंसने लगी और अपने बेटे राहुल से कहा राहुल हाथ से ढेर सारी कुकीज़ छोड़कर केवल दो या तीन कुकीज़ हाथ में पकड़कर हाथ बाहर निकालो
माँ की बात मानकर जब उसने सिर्फ दो कुकीज़ हाथ में पकड़ी तब वह आसानी से अपना हाथ बाहर निकाल सका तब उसकी माँ ने प्यार से कहा ऐसा करने से तुमने क्या सीखा? राहुल ने कहा, मैंने सीखा है कि किसी भी चीज़ का लालच अच्छी बात नहीं है
हमें हर चीज़ उतनी ही लेनी चाहिए जितनी हमें जरूरत हो
16 दो आलसी | short stories on hindi
दो आलसी गर्मी के दिन थे और दोपहर का समय दो आदमी सुबह सुबह आये और आम के पेड़ के नीचे सो गए धूप पत्तों से छन छन करती उन पर पड़ रही थी फिर भी वे नहीं उठे जहाँ थे वहीं पड़े रहे
दोनों के बीच में एक पका आम टपका सुनहरे रंग का एक ने दूसरे से कहा दोस्त ज़रा यह आम उठा कर मेरे मुँह में डाल दो, देखो तो कैसा है?
दूसरे ने कहा, अरे कैसे उठू? कुत्ता मेरा मुँह चाट रहा है पहले तुम इसे हटा दो उधर से एक ऊंट वाला जा रहा था पहले आलसी ने पुकारा, ओं ऊंट वाले भाई ज़रा इधर आना ऊंट वाला भला आदमी था, वह आया पूछा क्या है?
पहला आलसी बोला अरे भाई, यह आम उठा कर मेरे मुँह में डाल दो ऊंट वाला बोला अच्छा इसी के लिए तुमने मुझे इतनी दूर से बुलाया था बगल में पड़ा आम भी तुम से उठाया नहीं जाता बड़े आलसी जान पड़ते हो
आलसी की मदद तो भगवान भी नहीं करता और तुम कमाल ही हो जो इतनी दूर आकर भी इतना छोटा सा काम नहीं कर सकते पहला आलसी बोला ऊंट वाले ने कहा,
जो हाथ पैर नहीं हिलाता उसका भला भगवान भी नहीं करता यह कहकर ऊंट वाला चला गया आम दोनों के बीच पढ़ा रहा दोनों आलसी किसी का इंतजार करती रहे
17 दो जिगरी दोस्त ? | short stories on hindi
मेहनत का फल दो दोस्त थे संजय और मनोज दोनों बेरोजगार थे उन्होंने अपने परिचित गुरूजी से अपनी परेशानी बताई और कहा,
गुरूजी, हमें कुछ रुपए दीजिये जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सके गुरूजी ने दोनों दोस्तों को एक एक हज़ार रुपए दिए साथ ही ये कहा की एक साल के अंदर तुम्हें इन रुपयों को लौटाना होगा दोनों ने गुरूजी की बात मान ली फिर वे रुपए लेकर चल पड़े
रास्ते में संजय ने कहा, हमें इन रुपयों से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए पर मनोज ने कहा, नहीं, अब हम कुछ दिन अच्छे स्थानों पर घूमने जाएंगे, मौज करेंगे
एक साल बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरु जी के पास पहुंचे गुरूजी ने पहले मनोज से पूछा तुमने रुपयों का क्या किया? क्या लौटाने के लिए रकम लायक हो?
मनोज ने मुँह लटका कर जवाब दिया, गुरूजी किसी ने धोखा देकर वे रुपए ठग लिए फिर उन्होंने संजय से पूछा तुम भी खाली हाथ आये हो क्या? संजय ने मुस्कुराकर जवाब दिया, नहीं गुरूजी, ये लीजिए आपके एक हज़ार रुपए और अतिरिक्त एक हज़ार रुपए गुरु जी ने पूछा तुम इतने रुपए कैसे कमा लाये?
क्या तुमने किसी को धोखा दिया है? जी नहीं संजय बोला मैंने तो अपनी सूझबूझ और मेहनत से ये रुपए कमाए हैं एक किसान को परेशान देखकर मैंने उसके सारे फल खरीद लिए फिर उन्हें शहर में जाकर बेच दिया इसके बाद वो प्रतिदिन मुझे फल लाकर देता और मैं उन्हें बेच देता
कुछ दिनों के बाद मैंने शहर में दुकान ले ली और फलों का कारोबार शुरू किया इतना कहकर उसने गुरु जी को मदद करने के लिए धन्यवाद दिया और अतिरिक्त रुपए किसी जरूरत मंद को देने के लिए रखने का आग्रह किया गुरूजी संजय से बहुत खुश हुए
उन्होंने मनोज से कहा, अगर तुम भी समझदारी तथा मेहनत से काम करते तो सफल हो सकते थे संजय ने कहा अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो, सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी
Conclusion-
Story In Hindi With Moral– आज की इस स्टोरी में आपको इन में से सबसे अच्छी स्टोरी कोन सी लगी है और इन सभी स्टोरी से आपको क्या सीखने को मिला है comment कर के बताए ये post पढने के लिए धन्वाद